Supreme Court comment on Nupur Sharma case based on facts

नूपुर शर्मा मामले पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी तथ्यों पर आधारितः जमीयत उलेमा-ए-हिंद
- लेकिन जब तक इसका असर जमीन पर न दिखाई दे, तब तक इसे सार्थक और प्रभावी नहीं कहा जा सकता
नई दिल्ली, 01 जुलाई 2022ः
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने नूपुर शर्मा मामले पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को तथ्यों पर आधारित और जमीनी सच्चाई को दर्शाने वाला बताया है। उन्होंने कहा कि देश में जो परिस्थितियां उत्पन्न हुईं, उसके पीछे कानून लागू करने वाली एजेंसियों का अत्यधिक भेदभावपूर्ण रवैया है। जब त्रिपुरा में एक सामूहिक सभा में पैगंबर के अपमान का मामला गत वर्ष सामने आया तो जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने गृह मंत्री से मुलाकात कर स्थिति की गंभीरता से अवगत कराया था, लेकिन फिर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके बाद जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी द्वारा पैगंबर के अपमान को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई, जिस पर इसी महीने सुनवाई होने वाली है। इसमें मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट इस सम्बंध में अपनी गाइडलाइन को क्रियान्वित कराने के लिए सरकारों को निर्देश जारी करे। इस याचिका में वही बातें कही गई हैं जो आज सुप्रीम कोर्ट ने कहा है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद पहले दिन से कह रही है कि देश की वर्तमान स्थिति में सुधार के लिए सरकारों का रवैया ठीक नहीं है बल्कि सरकारी संरक्षण में सांप्रदायिकता का अभियान चलाया जा रहा है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद को उम्मीद है कि सरकार इस टिप्पणी से सचेत होगी और व्यावहारिक कार्यों द्वारा स्थिति को सुधारने का प्रयास करेगी। उन्होंने कहा जब तक कि इस टिप्पणी का जमीनी असर न दिखाई दे, उसे सार्थक और प्रभावी नहीं कहा जा सकता।
...
.................................
प्रिय संपादक
इस प्रेस बयान को प्रकाशित कर धन्यवाद का अवसर दें
नियाज अहमद फारूकी
सचिव, जमीयत उलेमा-ए-हिन्द

 

نوپور شرما معاملہ پر سپریم کورٹ کا تبصر ہ حقیقت کی عکاسی
لیکن جب تک زمینی طور پر اس کا اثر ظاہر نہ ہو ، بامعنی و نتیجہ خیز نہیں کہا جاسکتا: جمعیۃ علماء ہند

نئی دہلی :یکم جولائی ۲۰۲۲ء : جمعیۃ علماء ہند کے جنرل سکریٹری مولانا حکیم الدین قاسمی نے نوپور شرما معاملے پر سپریم کورٹ کے تبصرے کو حقیقت پر مبنی اور زمینی حقائق کی درست عکاسی بتایا ہے ۔انھوں نے کہا کہ ملک میں جو حالات پیدا ہوئے ہیں ، اس کے پس پشت قانون نافذ کرنے والی ایجنسیوں کا انتہائی جانبدارانہ رویہ ہے ، جب تری پورہ میں ایک اجتماعی اجلاس میں اہانت رسول کا قضیہ سال گزشتہ پیش آیا تھا تو جمعیۃ علماء ہند کے صدر مولانا محمود اسعد مدنی نے وزیر داخلہ سے ملاقات کرکے صورت حال کی سنگینی سے باخبر کیا تھا ، لیکن پھر بھی کوئی کارروائی نہیں کی گئی ۔ اس کے بعد جمعیۃ علماء ہند کے صدر مولانا محمود مدنی کی طرف سے اہانت رسول صلی اللہ علیہ و سلم کے سلسلے میں سپریم کورٹ میںعرضی داخل کی گئی جس کی سماعت اسی مہینے ہونے والی ہے، جس میں مطالبہ کیا گیا ہے کہ سپریم کورٹ اس سلسلے میں اپنی گائیڈلائن پر عمل در آمد کے لیے حکومتوں کو ہدایت جاری کرے ۔اس عرضی میں وہی باتیں کہی گئی ہیں جو سپریم کورٹ نے آج کی ہیں۔جمعیۃ علماء ہند روز اول سے یہ کہہ رہی ہے کہ ملک کے موجودہ حالات کی اصلاح کے لیے سرکاروں کا رویہ درست نہیں ہے بلکہ سرکاری پرستی میں فرقہ واریت کی مہم چلائی جارہی ہے ۔ جمعیۃ علماء ہند یہ توقع رکھتی ہے کہ حکومت اس بیان سے ہوش کے ناخن لے گی اور عملی اقدامات کے ذریعہ صورت حال کو درست کرنے کی کوشش کرے گی ۔انھوں نے کہا کہ جب تک کہ اس تبصرے کا زمینی طور پر اثر ظاہر نہ ہواسے نتیجہ خیز اور بامعنی نہیں کہا جاسکتا ۔
۔۔۔۔۔
مدیر محترم
اس پر یس ریلیز کو شائع فرما کر شکر گزار کریں
نیاز احمد فاروقی
سکریٹر ی جمعیۃ علما ء ہند

July 1, 2022